Friday, November 16, 2012

कागज़ कलम



lee: I always get attracted towards words, but they never come to me.

tejas: attraction is a weird thing

lee: Ruins has its own beauty... and I sleep in that. Yes, I actually love them.

tejas: the ghosts of the history, those loving people

lee: So I thought let’s burn them...



तेजस: और ऊनकी अरथी बहादे गंगा में
ली: और अरथीय़ाँ भी फूँक दे हवाँ में

ली: या फिर गाढ़ दे ज़मीन में 

तेजस: या फिर एक हस्तिदंती कूपी में डालकर पेहेन ले गले में
ली: जो शायद फिर से एक नया जीव बनके आएगा और फिर गंगा में मिल जाएगा 
तेजस: और नल से पहुंचेगा किसी लेखक के पेट में 
ली: लेखक फिर उन्ही की होली खेलेगा और उन्ही को फिर से बलि पे चढ़ाएगा। शब्द फिर अपना बदला शब्द से लेगा और वही कहानी दोहराएगा।शब्द किसी के ही पास जाएगा और किसी को अनाथ बनाएगा। 
तेजस: लेखक फिर अपने बच्चों को सुनाएगा रंग बिरंगी कहानिया , छापेगा अपनी किताब, मिलेगा उसे साहित्य अकादमी पुरस्कार।
ली: उसकी  हैडलाइन होगी, 'शब्दों में खेलने वाले लेखक की कलाकारी, हस्तदंती की तरह संभाल के रखना।' 
तेजस: और जब मरेगा वो लेखक बहायेंगे उसकी भी अर्थियां गंगा में। 'अच्छा हुआ मर गया भोसडिका!', चिल्लाया उसका ड्राईवर, जो उसने खरीदी थी सम्मान, पब्लिक अपीयरेंस और लेक्चर के पैसों  से, 'साला, डींगे हाकता था इक्वलिटी की और मेरे बच्चे की बर्थडे के लिये दिया नहीं कभी पैसा। नाके वाले राजू का सेठ अच्छा है, एप्पल कंपनी में काम करता है, और सबको सेब खिलाता है।'
ली: पर कुछ ने उन सम्मानों को भी मारी लात। शब्द उतरे लोगों के ज़हन में, और लगे तीर बनके उनके दिलों में।
तेजस: फिर वोह लोग बैठे रहे गंगा के तीर पे, महाकाव्य लिखते, सोचे थे उन्हें गायेगा कोई भारतरत्न अपने नए एल्बम में, जिसपे चल रहा है काम पिछले कई सालों से।
ली: :)
ली: शब्द हुए उनपे बहुत खुश, दोनों ने की खूब जुगलबंदी, किसकी चित किसकी पट करते करते बिखरी दुनिया सारी। उस बिखरी हुई दुनिया को जोड़ने का काम आज भी चल रहा है, कायम है। कुछ उसे शंघाई बनाना चाहते है तो कोई लंका। तो कुछ लैंड ऑफ़ ड्रीम्स!
तेजस: माँ बोली पीछे से,'बीटा, इससे अच्छा बैंक में भर्ती हो जा। कुबेर की नगरी का केशियर बन जा। लोन देता है कुबेर शंघाई और  लंका दोनों को, तू बस मुंडी नीचे कर के नोट गीन।'
ली: सीमा पे खड़े जवान को पता ही नहीं वोह किसके लिए लढ़ रहा है।
तेजस: पर उसको पता है खुद के घर में कौन मर रहा है।
ली: यही तो मारामारी है, चित पट का है सारा जुआं, कौन किससे खेल रहा है किसीको नहीं पता।
तेजस: 'अच्छा है, अच्छा है', दादाजी बस इतना ही बोलते है। उनके पोते का नाम हो या कल के दंगों में मरने वालों की संख्या।
ली: 'इस समाचार के बाद हम लेंगे आपसे विदा, और रखेंगे दो मिनट का मौन सोयी हुई आत्माओं के लिए, फॉर आल द डेड सोल्स, अलविदा'
तेजस: मौन के ब्रेक में आया गाड़ी का इश्तिहार, बोले ये car नहीं यह है caaaaar 
ली: हाहा, caaaar!
तेजस: लेखक का ड्राईवर चिल्लाया,' कितना देती है?'
ली: लेखक बोला, 'पैसों से बोलोगे तोह सब कुछ देगी, बाज़ार में खड़ी है।'
तेजस: नोट पे बापू धीरे से मुस्कुराये, 'यह सच का प्रयोग तो मैंने भी नहीं सोचा था'
ली: नोटों का हार पेहेनके एक नेताजी आये, 'हम आपको साड़ी मुलभुत सुविधाए देंगे।'
तेजस: 'आप हमे वोट दो हम आपको नोट देंगे'
ली: इन्किलाब के नारे बजरंग दल की साझेदारी में बदलेंगे। वोट दिया पर नोट नहीं मिला, नाले यूं ही भरते गए।
तेजस: 'भाई, अंग्रेज़ तो चले गए, अब यह इन्किलाब किसके लिए?' पनवाड़ी ने पूछा। 'अंकल, इट साउंड्स कूल!', चे की टीशर्ट पहना लड़का बोला। उसकी 14 साल की गर्लफ्रेंड चिल्लाई, 'हेया, चलो इससे अच्छा हम कैंडल मार्च करते हैं।'
ली: चे की टीशर्ट और चप्पल पेहेन के वो तो मास प्रोडक्शन वाली के सौवे पीस पे बहुत खुश हुआ। उस तरफ दांते ये institutionalization of art देख कर बहुत दुखी हुआ। चाइना ने बोला हम देंगे आपको सब कुछ सस्ते में। उधर i का प्रोटोटाइप बन रहा था।
तेजस: 'इससे अच्छा इस पूरी दुनिया की अर्थी गंगा में बहादों, यह नहीं थी मेरे ख्वाबों की दुनिया' इस पर गुरु दत्त बोला दुनिया जलाने का कॉपीराइट मेरा है।
ली: ऐसा कहकर अकादमी पुरस्कार ठुकराने वाले गहरी  सो गए, पर उसके साथ '3 स्टेट्स' टाइप के रायटर्स को बहुत काम मिला।
तेजस: 'सुना है एक की कहानियों पे अब एक टीवी सीरियल भी बन रही है'
ली: फिर यूँ हुआ, हमने जो लिखा नहीं उसके फ़साने बन गए, फंडामेंटल्स ऑफ़ रायटिंग का सैंपल बन गया, अर्थ कहीं ग़ुम हो गया।
तेजस: 'how to write and be a millionaire' फिलहाल बेस्ट सेल्लिंग की लिस्ट में है Flipkart पे।
ली: क्रॉसवर्ड ने उस्सकी रीडिंग भी रखी है, और ग़ालिब जी को बुलाया है बुक रीडिंग के लिए।
तेजस: 'बीवी के साथ कॉकटेल पार्टी में भी आना'
ली: 'बीवी के साथ' अंडरलाइन था, और कॉक  टेल अलग अलग कर के कहने का सुर ही निराला था। दारु और चखने के साथ लाइफ और पॉलिटिक्स चबाया जा रहा था। 'सॉरी बाय मिस्टेक' के साथ  हाथ लगाये जा रहे थे।
तेजस: कल्चरल मिनिस्टर के पी ए ने उनको ग़ालिब से मिलवाया, 'अच्छा लिखते है, आर्टिस्ट कोटा में फ्लैट दे?' ग़ालिब बोला,' माँ चुदाओ, मैं जा रहा हूँ। लोगोंको समझ में न आये ऐसे लफ्ज़ ढूँढने है जाके, बहुत काम है।'
ली: वाह वाह! वोह लफ्ज़-ए-गुफ्तगू में लपेटकर ग़ालिब शब्दों में बर्बाद हो गए। कोई sms, कोई ट्विटर, तो कोई फेसबुक पे डालकर खुद को बहलाने लगे। फ़ॉर्वर्डेड मेस्सजेस और सोशल नेटवर्किंग पे अजरामर हो गए। कागज़ और कलम का जैसे देहांत हो गया। पर ग़ालिब का यह बिखरना मंज़ूर है, इस तरह से आशिक़ी जिंदा तो है।
तेजस: माशूका थी जिनकी कभी यह ज़िन्दगी, वोह तोह नफरत करते है ग़ालिब से, ग़ालिब के बाद वोह स्लट फिर से कभी मिली ही नहीं।
ली: सही फरमाया। उसी पे वोह ग़ालिब को याद करते हैं-जवानी को ज़िन्दगी की निखार कहता है, पतझड़ को सावन का मझधार कहते हैं। अजीब चलन है इस दुनिया का यारों, एक धोखा है जिसे हम सब प्यार कहते हैं।